Ramdhari Singh Dinkar Poem Veer- सूरमा नहीं विचलित होते | Motivational Hindi Poem

Ramdhari Singh Dinkar Poem Veer- सूरमा नहीं विचलित होते | Motivational Hindi Poem
Ramdhari Singh Dinkar Poem Veer- सूरमा नहीं विचलित होते | Motivational Hindi Poem

Download Status

This is an extraordinary hindi motivational Poem, Everybody must listen this poem and get charged with up.

सच है, विपत्ति जब आती है,
कायर को ही दहलाती है,
सूरमा नही विचलित होते,
क्षण एक नहीं धीरज खोते,

विघ्नों को गले लगाते हैं,
काँटों में राह बनाते हैं

मुँह से न कभी उफ़ कहते हैं,
संकट का चरण न गहते हैं,
जो आ पड़ता सब सहते हैं,
उद्योग-निरत नित रहते हैं,

शूलों का मूल नसाते हैं,
बढ़ खुद विपत्ति पर छाते हैं।

है कौन विघ्न ऐसा जग में,
टिक सके आदमी के मग में?
खम ठोक ठेलता है जब नर,
पर्वत के जाते पाँव उखड़,

मानव जब ज़ोर लगाता है,
पत्थर पानी बन जाता है।

गुण बड़े एक से एक प्रखर,
है छिपे मानवों के भीतर,
मेंहदी में जैसे लाली हो,
वर्तिका-बीच उजियाली हो,

बत्ती जो नही जलाता है,
रोशनी नहीं वह पाता है।

वीर – रामधारी सिंह दिनकर

Communication Address ☎️?️
=============================
EMAIL: [email protected]
INSTA: t_kavitacafe
TWITTER: @Kavita_cafe
FACEBOOK www.facebook.com/TheKavitaCafe/

-~Would be more then happy to hear from you..!!

Thank You,
The Kavita Cafeteria