☝?हिन्दू पवित्र पुस्तक में सच्चाई पढ़िए…!? #hindu #islam #quran #muslim #drzakirnaik #shorts #viral
kya hindu dharm Mein mans ka Sevan karne se Mana Kiya gaya hai
kya hindu dharm Mein nonveg khana Paap hai
this video is only for education purpose
(1) हिन्दू कानून पुस्तक मनुस्मृति के अध्याय 5 सूत्र 30 में वर्णन हैं कि-
“वे जो उनका मांस खाते हैं खाते जो खाने योग्य हैं, कोर्इ अपराध नहीं करते हैं, यद्यपि वे ऐसा प्रतिदिन करते हों, क्योकि स्वंय इश्वर ने कुछ को खाने और कुछ को खाए जाने के लिए पैदा किया हैं।”
(2) मनुस्मृति में आगे अध्याय 5 सूत्र 31 में आता हैं-
” मांस खाना बलिदान के लिए उचित हैं, इसे दैवी प्रथा के अनुसार देवताओं का नियम कहा जाता है।”-
(3) आगे अध्याय 5 सूत्र 39 और 40 में कहा गया है कि- “स्वयं “इश्वर ने बलि के जानवरों को बलि के लिए पैदा किया, अत: बलि के उद्देश्य से की गई हत्या, हत्या नहीं। ”
महाभारत अनुशासन पर्व अध्याय 88 में धर्मराज युधिष्ठिर और पितामह भीष्म के मध्य वार्तालाप का उल्लेख किया गया हैं कि कौन से भोजन पूर्वजों को शांति पहुँचाने हेतु उनके श्राद्ध के समय दान करने चाहिए।
प्रसंग इस प्रकार है-
“युधिष्ठिर ने कहा, ” हे महाबली ! मुझे बताइए कि कौन-सी वस्तु जिसको यदि मृत पूर्वजों को भेंट की जाए तो उनको शांति मिलेगी? कौन-सा हव्य सदैव रहेगा? और वह क्या हैं जिसको यदि पेश किया जाए तो अनंत हो जाए?”
भीष्म ने कहा, ” बात सुनो, ऐ युधिष्ठिर कि वे कौन-सी हवि हैं जो श्राद्धरीति के मध्य भेंट करना उचित है। और वे कौन से फल है जो प्रत्येक से जुड़े हैं? और श्राद्धा के समय सीसम बीज, चावल, बजरा, माश, पानी, जड़ और फल भेंट किया जाए तो पूर्वजों को एक माह तक शांति रहती हैं। यदि मछली भेंट की जाए तो यह उन्हे दो माह तक राहत देती हैं। भेड़ का मांस तीन माह तक उन्हे शांति देता हैं। ख़रगोश का मांस चार माह तक, बकरी का मांस पाँच माह और सूअर का मांस छ: माह तक, पक्षियों का मांस सात माह तक, ‘प्रिष्टा’ नाम के हिरन के मांस से वे आठ माह तक “रूरू” हिरन के मांस से वे नौ माह तक शांति में रहते हैं। Gavaya के मांस से दस माह तक, भैंस के मांस से ग्यारह माह और गौ मांस से पूरे तक वर्ष तक । पायस यदि घी में मिलाकर दान किया जाए तो यह पूर्वजों के लिए गौ मांस की तरह होता हैं। वधरीनासा (एक बड़ा बैल) के मांस से बारह वर्ष तक और गैंडे का मांस यदि चन्द्रमा के अनुसार उनकी मृत्यु वर्ष पर भेंट किया जाए तो यह उन्हें सदैव सुख-शांति में रखता हैं। क्लास्का नाम की जड़ी-बूटी, कंचना पुष्प की पत्तियाँ और लाल बकरी का मांस भेंट किया जाए तो वह भी अनंत सुखदायी होता हैं। इस के बावजूद भी कोई शाकाहारी ही रहना चाहे तो किसी को कोई आपत्ति नही है….. मगर मांसाहारी होने पर भी किसी को कोई आपत्ति नही होनी चाहिये।
(संकलन : पेज : इस्लाम ही क्यों?)
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